Tabariya Baitha Hai Jo Deno Hai So Bantde
टाबरिया बैठया है जो देणो है सौ बांटदे
तर्ज – झुमका गीरा रे
टाबरिया बैठया है जो देणो है सौ बांटदे
दूर-दूर सै दौड़ कर, द्वारे तेरे आया
ये सब टाबर तेरा बाबा, कोई नहीं पराया
बोले जै जै कार रात-दिन, तेरा ही गुण गावाँ
बात-बात मैं खरचो लागै, ‘‘मांगण नै कित जावाँ’-2
टाबरिया बैठया है ………
कड़की को फंदा काट दे…………
दीनानाथ दया का सागर, जाणै दुनियां सारी
सांची कैणां पाप नहीं है, सुणले बात हमारी
म्हें हां पक्का गृहस्थीबाबा, नां कोई स्यामी मोड़ा
खाली झोली भरे बिना म्हें, ‘आज तनै नहीं छोड़ा’-2
टाबरिया बैठयो है ……………
तूं हंसकदे चाहे डांट दे……………….
विनती करकै हार गया सब, बजा बजा कै ताली
दुःखी होलिया, भर्या पड़यासै, ज्यूं बंदूक दुनाली
दानी लखदातार कुहावै, थार क्यां को घाटो
भर्यो खजानां खोल ‘‘बिहारी” ‘चाहे जितणो बांटो’-2
टाबरिया बैठयां है……………..
जीवन में आनन्द ठाठ दे……………….