दरबार में आकर दाता के हम दर्द सुनाना भूल गये (Darbar Me Aakar Data Ke Hum Dard Sunana Bhul Gye)
Darbar Me Aakar Data Ke Hum Dard Sunana Bhul Gye दरबार में आकर दाता के हम दर्द सुनाना भूल गये तर्ज – गजल / बजरंगबली मेरी नाव चली दरबार में आकर दाता के, हम दर्द सुनाना भूल गये, देखे जो हजारो दीन-दुखी, हम अपना फ़साना भूल गये ।। अश्कों से भरी लाखों आँखें, … Read more