थानै माल मलीदा भावै रे टूटी फूटी झोंपड़ी मं कंईया आवै रे (Thane Mal Malida Bhaave Re Tuti Futi Jhonpadi Me Kaiya Aave Re)

Thane Mal Malida Bhaave Re Tuti Futi Jhonpadi Me Kaiya Aave Re
थानै माल मलीदा भावै रे टूटी फूटी झोंपड़ी मं कंईया आवै रे

 

तर्ज – ढोला ढोल मजीरा

 

थानै माल-मलीदा भावै रे,
टूटी-फूटी झोंपड़ी मं, कंईया आवै रे ।।

 

दिन उगतां ही सबसै पैल्यां, लाडू खावै च्यार,
आंखलिया-माखलिया खोलै, दूध मिलै तैयार,
सागै फळ को भोग लगावै रे ।
टूटी-फूटी झोंपड़ी मं कंईया आवै रे ।।

 

चाँदी की चौकी कै ऊपर, जीमण की तैयारी,
छप्पन भोग छत्तीसों मेवा, खीर जलेबी न्यारी,
खाकै मीठो पान चबावै रे ।
टूटी-फूटी झोंपड़ी मं कंईया आवै रे ।।

 

माखन-मिश्री बीच-बीच मं, जी भर करके खावै,
‘बनवारी’ दिन मं जो खावै, रात पसन्द नहीं आवै,
म्हांसै कंईया प्रेम बढ़ावै रे ।
टूटी-फूटी झोंपड़ी मं कंईया आवै रे ।।

 

श्री जयशंकर चौधरी ‘बनवारी’ द्वारा राजस्थानी गीत ‘ढोला ढोल मजीरा बाजै रे’ की तर्ज़ पर रचित अनुपम श्याम वन्दना ।

 

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