Baba Ji Nain Raseela Jyu Amrit Ka Pyala Ji
बाबा जी नैण रसीला ज्यूँ अमृत का प्याला जी
तर्ज – जलाजी म्है तो राज रा डेरा
|| नैण रसीला श्याम का, नैणों से जादू करता है
जो नैण मिला ले श्याम से
फिर वो श्याम ही श्याम करता है ||
बाबा जी नैण रसीला, ज्यूँ अमृत का प्याला जी,
म्हारां सांवरिया सरदार म्हारे हिवड़े रा हार,
थारी म्हारी बहुत पुराणी यारी जी, गोपाल।
बाबा जी मोर मुकुट नख केसर कुण्डल सोहे जी,
थारो सोहवे श्रृंगार, लेवा नजर उतार,
म्हे तो थारे चरणों रा प्रेम पुजारी जी, गोपाल,
बाबा जी नैण रसीला, ज्यूँ अमृत का प्याला जी…
बाबा जी जादू गारी हँसी से चित्तचोरयो जी,
हुए काळजिये रे पार दिन सुरता बिसार
बेगा आकर सुध बुध लीज्यो, म्हारी जी गोपाल,
बाबा जी नैण रसीला, ज्यूँ अमृत का प्याला जी…
बाबा जी नैण रसीला, ज्यूँ अमृत का प्याला जी,
म्हारां सांवरिया सरदार म्हारे हिवड़े रा हार,
थारी म्हारी बहुत पुराणी यारी जी, गोपाल।
बाबा जी नैण रसीला, ज्यूँ अमृत का प्याला जी…
बाबाजी श्याम बहादुर चरण शरण में आयो जी
थे तो सुनलो पुकार लेवो थाम पतवार
थारो सु मैं अर्ज गुजारी मुरारी जी गोपाल,
बाबा जी नैण रसीला, ज्यूँ अमृत का प्याला जी…
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श्याम भरोसै न्यावड़ी, तो समदर मांही छोड़,
तूफ़ानां को साँवरा, तो मूंडो दीज्यो मोड़,
झलक पलक दिखलाय दे, तो पूरी करदे आस,
थे ही जीवन जेवड़ी, तो हूँ दासन को दास,
बाबाजी मोरमुकुट नख बेसर कुण्डल सोहे जी,
थारो जोवां सिणगार, लेवां आरती उतार,
म्है तो थारा चरणां रा प्रेम पुजारी जी गोपाल ।।
जी भरकर निरखूँ जीव मं, तो साँवरिया को नूर,
नैणा सैं तो दूर है, हिवड़ै सै ना दूर,
वैजंती उर पै पड़ी, तो लकुटी लीन्ही हाथ,
मन की जद खिलसी कळी, तो प्रीतम सैं हो बात,
बाबाजी जादूगारी बंशी यो चित्त चोरयो जी,
हुई काळजै कै पार, दीन्ही सुरतां बिसार,
बेगा आकर सुध-बुध लीज्यो म्हारी जी गोपाल ।।
पद पंकज की रज सदा, तो चाहूँ हे बृजराज,
थारी लीला गावतां, तो मोहे ना आवै लाज,
जगत नियन्ता आपको, तो जगजाहिर है नाम,
चाहूँ भक्ति आपकी, दया सिन्धु निष्काम,
बाबाजी श्यामबहादुर चरण शरण मं आयो जी,
म्हारी सुणल्यो पुकार, लेओ थाम पतवार,
थारै सैं गिरधारी अरज गुजारी जी गोपाल ।।
श्रद्धेय स्व. शिवचरणजी भीमराजका ‘शिव’ द्वारा सुप्रसिद्ध
राजस्थानी गीत ‘जलाजी म्है तो राज रा डेरा निरखण आई सा’ की तर्ज़ पर आधारित अदभुत अनुपम रचना ।