बजरंग बली बजरंग बली भगतों की नाव धीरे-धीरे चली भवसागर में डूब ना जाये करियो भली थे करियो भली (Bajrang Bali Bajrang Bali Bhagto Ki Naav Dhire Dhire Chali Bhav Sagar Me Dub Na Jaye Kariyo Bhali)

Bajrang Bali Bajrang Bali Bhagto Ki Naav Dhire Dhire Chali Bhav Sagar Me Dub Na Jaye Kariyo Bhali
बजरंग बली बजरंग बली भगतों की नाव धीरे-धीरे चली भवसागर में डूब ना जाये करियो भली थे करियो भली

 

तर्ज़ – स्वरचित (अमृतवाणी आधारित)

 

बजरंग बली, बजरंग बली,
भगतों की नाव धीरे-धीरे चली,
भवसागर में डूब ना जाये,
करियो भली थे करियो भली ।।

 

जय हनुमान ज्ञान-गुण सागर,
भरदो सबकी ज्ञान से गागर,
रामदूत अतुलित बल धामा,
देना हमें चरणों मे ठिकाना,
तेरी शक्ति के आगे प्रभु,
शक्ति किसी की भी ना चली ।।
बजरंग बली, बजरंग बली…..

 

कंचन बरण बिराज सुवेशा,
अपनी किरपा रखियो हमेशा,
हाथ वज्र और ध्वजा बिराजे,
श्री राम की धुन में नाचे,
तेरी भक्ति और शक्ति से,
श्रीराम की विपदा टली ।।
बजरंग बली, बजरंग बली…..

 

शंकर सुवन केसरी नन्दन,
करता हूँ चरणों मे वन्दन,
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा,
विकट रूप धरि लंक जरावा,
रावण जैसे बलशाली की,
सोने की लंका पल में जली ।।
बजरंग बली, बजरंग बली…..

 

लाय संजीवन लखन जिलाया,
श्री राम को धीर बँधाया,
तुम उपकार सुग्रीवहीं कीन्हा,
राम मिलाय राजपद दीन्हा,
तेरी बल-बुद्धि के आगे,
हार गये सब कपटी-छली ।।
बजरंग बली, बजरंग बली…..

 

प्रभु मुद्रिका म्हैली मुख मांही,
माँ की गोद मे जाय गिराई,
तुम मम प्रिय भरत सम भाई,
अस कह श्रीपति कंठ लगाई,
इतनी किरपा श्री राम की,
तेरे सिवा किसी को ना मिली ।।
बजरंग बली, बजरंग बली…..

 

चारों जुग परताप तुम्हारा,
बजरंगी दुःख हरलो हमारा,
अष्ठ सिद्धि – नव निधि के दाता,
हाथ जोड़कर तुम्हें मनाता,
‘बनवारी’ मुझे लेलो शरण में,
आऊँगा हरदम तेरी गली ।।
बजरंग बली, बजरंग बली…..

 

श्रद्धेय स्वामी तुलसीदास जी कृत श्री हनुमान चालीसा के पदों पर आधारित श्री जयशंकर चौधरी ‘बनवारी’ द्वारा रचित अनुपम हनुमत भजन

 

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