भक्त तुमको साँवरे कई अनेक है हमको तो कन्हैया प्यारे तूँ ही एक है (Bhakt Tumko Sanware Kai Anek Hai Humko To Kanhiya Pyare Tu Hi Ek Hai)

Bhakt Tumko Sanware Kai Anek Hai Humko To Kanhiya Pyare Tu Hi Ek Hai
भक्त तुमको साँवरे कई अनेक है हमको तो कन्हैया प्यारे तूँ ही एक है

 

तर्ज – माँ अंजनी के लाल

 

|| दोहा ||
इस कलयुग में साँवरे, तेरे भक्त अनेक । 
मैं भी उनमें एक हूँ, एक बर कानी देख ।। 

 

भक्त तुमको साँवरे कई अनेक है 
हमको तो कन्हैया प्यारे तूँ ही एक है ।। टेर ।।

 

नरसी नहीं जो आपको केदारा सुनाऊँ 
मीरा सा कैसे झूमके मैं नाच दिखाऊँ 
अवगुण हजारों साँवरे अभी भी शेष है 
हमकाे तो कन्हैया… ।। û ।।

 

पग-पग पे मन हमारा प्रभु हमको लुभावे 
सुख दुःख की गिनती साँवरे हमेशा सतावे 
अनजान जग में साँवरे तुम्हारे खेल है 
हमकाे तो कन्हैया… ।। ü ।।

 

दुनिया में कई भक्त जाने कैसे रिझावे 
प्यारे कन्हैया आपको जब चाहे बुलावे 
ये प्रेमी तेरा साँवरे बिल्कुल ही फैल है 
हमकाे तो कन्हैया… ।। ý ।।

 

सावन की धार बन गये ये नैना हमारे 
जीगर को चीर देखो तुम्हीं प्राण पियारे 
‘नन्दू’ हृदय पे देख श्याम तेरे लेख है 
हमकाे तो कन्हैया… ।। þ ।।

 

।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम ही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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