Chandi Ke Shinghasan Upar Chatar Latke Bhari Hai Sajdhaj Baitho Shyam Bihari
चाँदी के सिंहासन ऊपर छत्तर लटके भारी है सजधज बैठ्यो श्याम बिहारी मूरत लागे प्यारी है
तर्ज – थाली भरकर ल्याई खीचड़ो
|| दोहा ||
|| खाटू में श्री श्याम का, खूब बडा दरबार ||
|| दुनिया आव दूर से, करती जय-जयकार ||
चाँदी के सिंहासन ऊपर छत्तर लटके भारी है
सजधज बैठ्यो श्याम बिहारी मूरत लागे प्यारी है ।। टेर ।।
तन केशरिया बागो साेहे, गल पुष्पन को हार है
शीश मुकुट कानां मं कुण्डल, खूब सज्यो सिणगार है
केशर चन्दन तिलक लगाया, लीले की असवारी है ।। û ।।
श्याम धणी क चरणां माँही, जो अरदास लगाव है
सच्चो है दरबार श्याम को, खाली हाथ न जाव है
गया जिंका न पूछके देखो, जाण सब दातारी है ।। ü ।।
भीड़ घणेरी बढ़ती जाव, दुनिया हो रही बावली
जणे-जणे पर जादू कर गई, सूरत अंकी सांवली
हर ग्यारस न मेलो लागे, ऐसो लीलाधारी है ।। ý ।।
जद-जद म्हां पर आपफत आव, यो संताप मिटाव है
म्हारो तो एक श्याम सहारो, याद श्याम की आव है
‘बिन्नू’ की तो बात साँवरो, नहीं कदे भी टारी है ।। þ ।।
।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम ही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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