दुनिया से मैं हारा हूँ, तक़दीर का मारा हूँ (Duniya Se Main Hara Hu Takdir Ka Mara Hu)

Duniya Se Main Hara Hu Takdir Ka Mara Hu Jaisa Bhi Hu Apnalo Main Balak Tumhara Hu
दुनिया से मैं हारा हूँ तक़दीर का मारा हूँ जैसा भी हूँ अपना लो मैं बालक तुम्हारा हूँ

 

तर्ज – एक प्यार का नगमा है

 

दुनिया से मैं हारा हूँ, तक़दीर का मारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो, मैं बालक तुम्हारा हूँ ।

 

पापों की गठरी ले फिरता मारा मारा,
नहीं मिलती है मंजिल,नहीं मिलता किनारा,
नहीं कोई ठिकाना है,मैं तो बेसहारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ ।

 

दुनिया से जो माँगा मिलती रुसवाई है,
तेरे दर पे सुनते हैं होती सुनवाई है,
दुःख दूर करो मेरे,मैं भी दुखियारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ ।

 

कोशिश करते करते नहीं नांव चला पाया,
आखिर में थक करके तेरे द्वार पे हूँ आया,
इस श्याम को तारो प्रभु,तुझे दिल से पुकारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ ।

 

।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम यही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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