Gaadi Wale Mujhe Baitha Le Ek Bar Gaadi Thaam Bhai Main Haar Liya
गाड़ी आले मनै बिठाले एक बार गाड़ी थाम भाई मैं हार लिया
तर्ज – परंपरागत
|| दोहा ||
|| किसना रूक्के मारता डटना गाड़ीवान
गाड़ी में बैठा मुझे मानूँगा अहसान ||
गाड़ी आले मनै बिठाले, एक बार गाड़ी थाम
भाई मैं हार लिया / गयो
नरसी जी नू कहन लगे गाड़ी मेरी पुरानी सै
गाड़ी तेरी ठीक करूँ ना मेरे त छानी सै
खाती मेरी जात भगत जी किसना मेरा नाम
भई मैं हार लिया….. गाड़ी आलै मनै
गाड़ी लगे सुधारन को लेई हाथ में आरी थी
टूटी गाड़ी नरसी की हरि ने तुरत सुधारी थी
नरसी बोला भजन सुनादां ना म्हारे पे दाम
भई मैं हार लिया….
बालकपन में टहल करी मनै संत तुम जैसो की
भजन सुनन का शौक मनै नहीं जरूरत पैसों की
मैं बन जाऊंगा गढ़वाला आप करो आराम
भई मैं हार लिया….
दोनों काम जानता हूँ खाती और गढ़वाला मैं
आप कहो तो अभी बना दूँ एक तुलसी की माला मैं
नरसी बोल्या गाड़ी हांक लो होती आवै शाम
भई मैं हार लिया….
बैठे सोलह बाबा जी गाड़ी में फेरे माला
गाड़ी पवन समान चली कृष्ण बना था गढ़वाला
न्यूं बोल्या थारै साथ चलूंगा थोड़ी दूर मेरा गाम
भई मैं हार लिया…..
श्री कृष्ण का हाथ लगा बैलों में बल आया था
निकट शहर अन्जार के जब गाड़ा चल आया था
कृष्ण बोला मैं जाता हूँ मनै जरूरी काम
भई मैं हार लिया…..
बावन रुप कभी धारा बन नरसिंह हिरणाकुश मारा
अपने भगतों के कारण देना पडज्या चौकीदारा
तुलसी खातर बना सिपाही खूद लक्ष्मण संग राम
भई मैं हार लिया……
बाँध छान कदे गढ़वाला और कदे रथवान बने
“बदरी सिंह ” जिसा भगत बनावै वैसा ही भगवान बने
कृष्णा खाती चाल पड़ा कर सन्तों को प्रणाम
भई मैं हार लिया…… गाड़ी आलै मनै
।। श्री श्याम आशीर्वाद ।।
।। श्याम श्याम तो मैं रटू , श्याम ही जीवन प्राण ।।
।। श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम ।।
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