ओ जी ओ गिरधारी नटवर नागरिया थारी नानी बाई रो भात भरण नै आज्यो जी साँवरा (Oji O Girdhari Natwar Nagariya Thari Naani Bai Ro Bhat Bharan Ne Aajo Ji Sanwra)

Oji O Girdhari Natwar Nagariya Thari Naani Bai Ro Bhat Bharan Ne Aajo Ji Sanwra
ओ जी ओ गिरधारी नटवर नागरिया थारी नानी बाई रो भात भरण नै आज्यो जी साँवरा

 

तर्ज – ओळयूँ / ओल्यू

 

ओ जी ओ गिरधारी नटवर नागरिया,
थारी नानी बाई रो भात भरण नै,
आज्यो जी साँवरा ।।

 

नरसी मेहता नै तो थारो आसरो,
म्हारी आज सगा मं लाज बचावण,
आज्यो जी साँवरा ।।

 

कद सैं ऊबी जोऊँ थारी बातड़ली,
थारी नानी बाई नै चुनड़ उढ़ावण,
आज्यो जी साँवरा ।।

 

दीनानाथ दयालु थारो नाम है,
म्हारी अटकी नैया पार लगावण,
आज्यो जी साँवरा ।।

 

थारै बिन म्हारी कुण सुणेलो साँवरिया,
भोळा भगतां री बात निभावण,
आज्यो जी साँवरा ।।

 

‘ताराचन्द’ भी थांसै साँवरा अरज करै,
थारै भगतां नै दरश दिखावण,
आज्यो जी साँवरा ।।
स्व. ताराचन्द जी शर्मा द्वारा रचित ‘नानी बाई को मायरो’ से राजस्थानी तर्ज़ पर  लिखी गई ‘ओळयूँ’ ।

 

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