Palko Ka Ghar Taiyar Sanware Meri Ankhiya Kare Intajar Sanware
पलकों का घर तैयार साँवरे मेरी अँखिया करें इंतजार साँवरे
तर्ज – ये किसने किया श्रृंगार साँवरे
पलकों का घर, तैयार साँवरे,
मेरी अँखिया करें, इंतजार साँवरे ।।
आँखों के अंसुवन जल से, तेरे चरण पखारूँगा,
पलकों की कंघी से तेरे, बाल संवारूँगा,
मौका सेवा का दे, एक बार साँवरे ।।
पलकों का घर तैयार साँवरे……
पुतली के दरवाजे ऊपर, पलकों का है पहरा,
प्रेम है ये निस्वार्थ हमारा, सागर सा है गहरा,
हम तेरे हुये, तलबगार साँवरे ।।
पलकों का घर तैयार साँवरे……
बड़े भाव से बड़े चाव से, तेरा लाड़ करेंगे,
जहाँ रखोगे पाँव कन्हैया, वहीं पे हाथ रखेंगे,
ख्वाईश पूरी करो, सरकार साँवरे ।।
पलकों का घर तैयार साँवरे……
महलों जैसे ठाठ नहीं, घर देखने तो प्रभु आओ,
रहना नहीं चाहो कम से कम, आजमाने तो आओ,
‘मोहित’ दिल से करे, मनुहार साँवरे ।।
पलकों का घर तैयार साँवरे……
श्री आलोक गुप्ता ‘मोहित’ द्वारा सुपरिचित भजन ‘ये किसने किया श्रृंगार साँवरे’ की तर्ज़ पर रचित अनुपम रचना ।