Tabariya Ro Maan Rakhjo Khatuwala Shyamji
टाबरियां रो मान राखज्यो खाटुवाळा श्याम जी
तर्ज – थाळी भरकर ल्याई खीचड़ो
टाबरियां रो मान राखज्यो, खाटुवाळा श्याम जी,
कंईया सरसी थारै बिना म्है,
भोळा अर नादान जी, भोळा अर नादान जी ।।
थारी मरजी होयां बाबा, काया म्हारी हालै जी,
थारे भरोसे ओ सांवरिया, गाडी म्हारी चालै जी,
थे ही गाडी का हाँकणिया,
पकड़ो म्हारी कमान जी ।।
कंईया सरसी थारै ….
ओ रे मिजाजी तूं राजी तो, क्यांको म्हानै टोटो जी,
जगत सेठ री पदवी थानै, सेठ घणो तूं मोटो जी,
थारे होतां-सोतां ही तो,
सोवां खूंटी ताण जी ।।
कंईया सरसी थारै ….
जीवन डोरी थारै हाथां, जैंया चाह्वो नचाल्यो जी,
छोटी सी विनती है थांसै, सेवा मांही लगाल्यो जी,
थारे प्रेम की चढ़ी ख़ुमारी,
थे ही म्हारा प्राण जी ।।
कंईया सरसी थारै ….
थांसै मिलबां आवां म्है तो, जाणै री सुध बिसरावां,
खाटू मांही घूम-घूम कै, भजनां रो इमरत पांवां,
‘चौखानी’ कह्वै जनम-जनम री,
थांसै जाण-पिछाण जी ।।
कंईया सरसी थारै ….
श्री प्रमोद चौखानी द्वारा सुप्रसिद्ध भजन ‘थाळी भरकर ल्याई खीचड़ो’ की तर्ज़ पर रचित भावपूर्ण रचना ।