Tu Sab Janta Hai Tujhe Kya Batayen
तू सब जानता है तुझे क्या बताये
तर्ज – वो जब याद आये बहुत / मुझे श्याम अपने गले से
तूं सब जानता है,तुझे क्या बतायें
मैं जग से छुपालूं, मेरा हाल ए दिल ये,
मगर तुमसे बाबा,छिपे ना छिपाये।।
प्रीत अपनी प्रभु है पुरानी बड़ी,
याद तुमको किया,मैंने तो हर घड़ी,
तेरे रहते बाबा,किसे मैं पुकारूँ,
तूं ही मेरा अपना,सगळे पराये।।(१)
खेलते सब रहे मेरे जज्बात से,
तुम तो वाकिफ़ हो श्याम,मेरे हालात से,
मेरे आँसुओ में, दर्द जो छुपा है,
तूं ही उसको समझे,तूं ही मिटाये।।(२)
इतना तो सांवरे मुझको विश्वास है,
कोई हो या ना हो,तूं मेरे साथ है,
मेरी गलतियों से,अनजान हूँ मैं,
“सोनू” की उलझन,तूं ही सुलझाये।।(३)
तूं सब जानता है,तुझे क्या बतायें