आणो पड़सी हे मनमोहन थानै भगत बुलावै है (Aano Padsi He Man Mohan Thane Bhagat Bulave Hai)

Aano Padsi He Man Mohan Thane Bhagat Bulave Hai
आणो पड़सी हे मनमोहन थानै भगत बुलावै है

 

तर्ज – चाँदी की दीवार ना तोड़ी

 

आणो पड़सी हे मनमोहन, थानै भगत बुलावै है,
दीनानाथ अनाथ का बंधु, थानै सब ही बतावै है ।।

 

जद-जद भीड़ पड़ी भक्तन पर, 
तब-तब आप पधारया जी,
निर्बल का बल निर्धन का धन,
सबका काज संवारया जी,
हारया हुया का साथी नाथ थे, 
अब क्यूँ देर लगावै है ।।

 

थारा भगत कै म्हारा प्रभुजी,
थारो ही एक सहारो है,
थे नहीं आया तो प्रभु म्हारा,
कांई हाल हमारो है,
पल-पल बीतै बरस बराबर,
इतनो कांई तरसावै है ।।

 

इतनी देर करी कांई मोहन,
दिल म्हारो घबरावै है,
बाट उड़ीकत अँखियां म्हारी,
रो-रो नीर बहावै है,
भक्त वत्सल भगवान कहाकर,
भक्तां को जीव दुखावै है ।।

 

म्हारी नैया बीच भँवर मं,
केवटियो जाणै कठै गयो,
थारै भरोसै छोड़ी नैया,
तूं भी जाणै कठै अटैक गयो,
बेगा आओ म्हारा गिरवरधारी,
नैया डूबी जावै है ।।

 

सोता होवो तो जागो मोहन,
जागो हो तो आओ जी,
आओ लाज बचाओ म्हारी,
मतना देर लगाओ जी,
‘सोहनलाल’ का हाल देखकर,
तूं भी क्यूँ चकरावै है ।।

 

स्व. सोहनलालजी लोहाकार द्वारा ‘चाँदी की दीवार ना तोड़ी’ गीत की तर्ज़ पर रचित अति प्राचीन भावभरा भजन।

 

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