जब जब नसीब रूठा बादल ग़मों के छाये प्रभु तुम याद आये (Jab Jab Nasib Rutha Badal Gamo Ke Chaaye Prabhu Tum Yad Aaye)

Jab Jab Nasib Rutha Badal Gamo Ke Chaaye Prabhu Tum Yad Aaye
जब जब नसीब रूठा बादल ग़मों के छाये प्रभु तुम याद आये

 

तर्ज – जब जब बहार आई

 

जब-जब नसीब रूठा, बादल ग़मों के छाये,
प्रभु तुम याद आये,
ऐसे में दुख का साथी, जब एक भी ना पाये,
प्रभु तुम याद आये ।।

 

सारे जहां का मालिक, परवरदिगार तूं है,
इस मतलबी जहां में, यारों का यार तूं है,
जब सुख के यार सारे, दुख में हुये पराये ।
प्रभु तुम याद आये ।। जब-जब नसीब…..

 

दुख की नहीं थी चिन्ता, दुख में भी जी रहा था,
आँसू मिले जो मुझको, हँस-हँस के पी रहा था,
इस बेक़शी के ऊपर, जब लोग मुस्कुराये ।
प्रभु तुम याद आये ।। जब-जब नसीब…..

 

न था वैर-भाव कोई, न फरेब आचरण में,
दर्पण सा साफ दिल था, न था खोट कोई मन में,
इस सादगी पे फिर भी, इल्जाम जब लगाये ।
प्रभु तुम याद आये ।। जब-जब नसीब…..

 

यही कामना थी मेरी, हर दिल को प्यार बाँटू,
दुख दूसरों का लेकर, खुशियां हजार बाँटू,
लेकिन जहां ने सारे, अरमान जब जलाये ।
प्रभु तुम याद आये ।। जब-जब नसीब…..

 

तेरी रहमतों पे मुझको, बड़ा नाज़ श्याम बाबा,
तूने मुश्किलों में मेरी, रखी लाज श्याम बाबा,
‘गजेसिंह’ के भजन जब, रजनी के मन को भाये ।
प्रभु तुम याद आये ।। जब-जब नसीब…..

 

श्री गजेसिंह तँवर द्वारा ‘जब-जब बहार आई और फूल मुस्कुराये’ गीत की तर्ज़ पर रचित अनुपम श्याम वन्दना ।

 

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