कन्हैया दीन दुखियों के सहायक तुम कहाते हो दुखी हूँ दीन हूँ मैं भी मुझे फिर क्यूँ भुलाते हो (Kanhiya Deen Dukhiyo Ke Sahayak Tum Kahate Ho Deen Dukhi Main Bhi Hu Kyu Bhulate Ho)

Kanhiya Deen Dukhiyo Ke Sahayak Tum Kahate Ho Deen Dukhi Main Bhi Hu Kyu Bhulate Ho
कन्हैया दीन दुखियों के सहायक तुम कहाते हो दुखी हूँ दीन हूँ मैं भी मुझे फिर क्यूँ भुलाते हो

 

तर्ज – खिलौना जानकर तुम

 

कन्हैया दीन-दुखियों के सहायक तुम कहाते हो,
दुखी हूँ, दीन हूँ मैं भी, मुझे फिर क्यूँ भुलाते हो ।।

 

बड़ाई सुनके रहमत की, तुम्हारे दर पे आया हूँ,
रहम की भीख दो दाता, मैं गर्दिश का सताया हूँ,
हमेशा आप ही बिगड़ी में, आखिर काम आते हो
कन्हैया दीन-दुखियों के सहायक…

 

इनायत की नजर करके, बलायें टाल दो दाता,
खुशी मेरी भी झोली में, जरा सी डाल दो दाता,
जहां की नेमतें तुम तो, गरीबों पे लुटाते हो ।।
कन्हैया दीन-दुखियों के सहायक…

 

मैं जग से हार कर आया, तूं हारे का सहारा है,
तुम्हारे बिन नहीं जग में, कहीं मेरा गुजारा है,
लगा कर अपने चरणों में, तरस बेकश पे खाते हो
कन्हैया दीन-दुखियों के सहायक…

 

बड़ी बेदर्द है दुनिया, भरोसा क्या करूँ इस पर,
जहाँ दिल देके मैं आया, वहीं से आ रहे पत्थर,
‘गजेसिंह’ प्यार का रिश्ता तो बस तुमही निभाते हो
कन्हैया दीन-दुखियों के सहायक…

 

श्री गजेसिंह तँवर द्वारा ‘खिलौना जानकर तुम तो, मेरा दिल तोड़ जाते हो’ गीत की तर्ज़ पर रचित अनुपम रचना ।

 

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