तूं तो सब जाणै रे तेरै सैं के छानी रे शरण पड़्यो हूँ बाबा देख मेरे कानी रे (Tu To Sab Jane Re Tere Se Ke Chani Re Sharan Pado Hu Baba Dekh Mere Kani Re)

Tu To Sab Jane Re Tere Se Ke Chani Re Sharan Pado Hu Baba Dekh Mere Kani Re
तूं तो सब जाणै रे तेरै सैं के छानी रे शरण पड़्यो हूँ बाबा देख मेरे कानी रे

 

तर्ज – छुप गया कोई रे

 

तूं तो सब जाणै रे, तेरै सैं के छानी रे,
शरण पड़्यो हूँ बाबा, देख मेरे कानी रे ।।

 

मांड कै खड्यो हूँ झोळी, खाली कौन्या जाऊँ रे,
टाबरां नै जाकै कुणसो, मुखड़ो दिखाऊं रे,
धीर तो बन्धाऊं जाके, देदे क्यूं निशानी रे ।।
शरण पड्यो हूँ थारी……..

 

म्है तो सुणी हां दोन्यू, हाथां से लुटावै रे ,
दुनियां में बाबो लख, दातार तूं कुहावै रे,
कांई मैं बिगाड्यो तेरो, या के बेईमानी रे ।।
शरण पड्यो हूँ थारी……..

 

दौन्यू टैम रोज तेरी, चाकरी बजास्यूं रे,
मेरे घरां आवोगा तो, जोत भी जगास्यूं रे,
‘लहरी’ बोलूं सांची, झूंठी, प्रीत के निभाणी रे ।।
शरण पड्यो हूँ थारी……..

 

श्री चन्द्रशेखर शर्मा ‘लहरी’ द्वारा ‘छुप गया कोई रे’ गीत की तर्ज़ पर रचित भावपूर्ण रचना ।

 

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