Shyama Thane Ghara Le Chalu Re Patli Si Pitambri Me Siya Mare Lo Re
श्यामा थानै घरां ले चालु रै पतली सी पीताम्बरी म सियां मरेंलो रै
तर्ज – ढोला ढोल मजीरा बाजे रे
श्यामा थानै ,घरां ,ले चालु रै,
पतली सी , पीताम्बरी म ,सियां ,मरेंलो रै।।
खाटू वाले ,खारडै म …सियां , मरैलो भाया,
ठण्डी ठण्डी ,भाल चालसी ..थर थर ,काँपे काया,
थारा दांत ,कड़ाकर ,बोले रै ।।(१)
म्हारै घरां छ , गुदड़ा भाया..जाकैं ,सो सो ,कारी,
एक औडस्या ,एक बिछास्या..रात ,काटस्या ,सारी,
कैया ,नाके नाके ,डोले रे ।।(२)
आव आव ,अब बेगो आज्या..पकड़ ,आँगली, म्हारी,
सर्दी मरता ,थर थर ,काँपा..बाट ,जोवता, थारी,
दाता ,म्हारै सागै ,होले रै।।(३)
माखन मिश्री ,तन्ने चाये.. बाण ,पड़्योड़ी खोटी,
म्हारै घरां छ ,बाजरा की..रूखी ,सूखी ,रोटी,
गुड़ को ,डलियों ,सागै ,ले ले रै।।(४)
हरदम थारी ,सेवा करस्यू..नित उठ ,भोग लगास्यु,
धूप दीप ,नैवेध सजाकर..रोज ,आरती गांस्यु,
सेवक, चरणा चित्त ,धर ,बोले रै।।(५)
पतली सी ,पीताम्बरी म,सियां मरैलो रे ।।